विराट कोहली की कप्तानी में पहली बार भारतीय टीम विश्व कप खेलने के लिए इंग्लैंड जा रही है। गौरतलब है कि इसी बात को लेकर चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है। हालांकि इसी बीच भारत के पूर्व कप्तान कपिल देव ने कहा था कि- भारत के पास वर्तमान समय में एक बेहद संतुलित टीम है। जिसके चलते हमें यह उम्मीद रखनी चाहिए कि विराट कोहली साल 1983 का इतिहास दोहरा सकते हैं। लेकिन आज हम आपको अपने इस आर्टिकल में यह बताने जा रहे हैं कि क्या वाकई में विराट कोहली साल 1983 के इतिहास को दोहरा सकते हैं।
दरअसल साल 1983 एक ऐसा समय था, जब भारत आर्थिक तंगी और गरीबी में बेहाल था। उस समय पर भारत में क्रिकेट आज के समय की अपेक्षा बेहद कम लोकप्रिय था। लेकिन साल 1983 में भारत के लोगों को अचंभित करते हुए कपिल देव ने अपनी टीम के साथ कारनामा कर दिखाया और उस साल का विश्व कप भारत में ले आए। जिसके बाद भारत में क्रिकेट का बुखार हर दूसरे व्यक्ति को चढ़ने लगा। लेकिन आज के समय की दशाएं बिल्कुल बदल चुकी हैं।
इस बात में कोई शक नहीं है कि भारत के पास एक बेहतरीन टीम है। लेकिन हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि भारत साल 2011 का विश्व कप अपनी ही धरती पर जीता था। इतिहास को खंगालने से पता चलता है कि भारत का विदेशी पिचों पर प्रदर्शन औसत रहा है। उलट इसके इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया जैसी टीमें में विदेशों में जाकर ही अच्छा प्रदर्शन करती हैं। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि इंग्लैंड, दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के पास भी वर्तमान समय में विश्व के कई महान खिलाड़ी हैं। जो कि विराट सेना के लिए बड़ी चुनौती बन सकते हैं।
अब ऐसी परिस्थिति में आईपीएल में थकी हुई विराट सेना को इंग्लैंड जाने के बाद थोड़ी सी परेशानी तो जरूर होगी। लेकिन यदि विराट सेना समय रहते खुद को वहां की दशाओं में ढाल पाई तो निश्चित तौर पर विराट 1983 का इतिहास दोहरा सकते हैं। अन्यथा 2015 का इतिहास भी दोहरा सकता है।